Winter Session से पहले किरेन रिजिजू का विपक्ष पर निशाना: ‘अवरोध राजनीतिक रूप से आपत्ति के लिए नुकसानदायक’
1 week ago
संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र से पहले केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि विपक्ष को लगातार संसदीय कार्यों में बाधा डालना बंद कर देना चाहिए। उनका कहना है कि इस तरह के कदम राजनीतिक रूप से विपक्ष के लिए “हानिकारक” साबित हो रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के ‘The Idea Exchange’ सत्र में रिजिजू ने कहा, “संसदीय कार्यों में अवरोध डालकर विपक्ष लगातार चुनाव हार रहा है। संसद का मंच राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल करने से राजनीतिक लाभ नहीं मिलता।”
विपक्ष के सदस्यों से उम्मीद है कि वे चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) पर चर्चा करेंगे। इस पर रिजिजू ने कहा कि किसी संवैधानिक संस्था (जैसे EC) पर चर्चा करना अनुचित है क्योंकि सरकार उसकी ओर से बात नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट या न्यायिक सुधारों जैसी विषयों में भी अलग तरीके से बहस होती है। इसलिए अधिनियमित निकायों से संबंधित मुद्दे तब तक सदन में चर्चा के लिए नहीं आते जब तक कि वे किसी सुधार से संबंधित न हों।
रिजिजू ने कहा कि अगर SIR पर चर्चा करनी हो, तो इसे सुधार के व्यापक मुद्दों के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जब NDA और बीजेपी विपक्ष में थे, तब मुद्दों को सावधानी से उठाया जाता था और उन्हें नतीजे तक पहुँचाया जाता था, जैसे कॉमनवेल्थ गेम्स या 2G घोटाला। उन्होंने कहा, “आज सरकार द्वारा उठाए गए ठोस मुद्दों का भी विपक्ष विरोध करता है।”
रिजिजू ने मानसून सत्र का भी जिक्र किया, जब बिहार में SIR को लेकर अवरोध हुआ था। उन्होंने कहा कि सत्र सरकार के कामकाज के दृष्टिकोण से बहुत सफल था और इसे “अत्यंत उत्पादक” बताया। वहीं विपक्ष के लिए यह “हानिकारक” साबित हुआ क्योंकि उन्हें संसद में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला।
विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच वर्तमान में बढ़ती कटुता के सवाल पर रिजिजू ने कहा कि यदि यह विपक्ष की राजनीतिक असफलताओं की वजह से है तो सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी माना कि संसदीय कार्यों के मानकों में गिरावट हुई है और कुछ विपक्षी नेता संसद के संचालन में सहयोग दे रहे हैं।
रिजिजू ने अंत में कहा, “एक सांसद को जनता के सामने अपनी कार्यप्रणाली दिखानी होती है। यदि संसद काम नहीं करती, तो सरकार का काम नहीं रुकता, लेकिन सांसदों के बोलने का मौका रुक जाता है। इसलिए संसद के संचालन में बाधा विपक्ष के लिए ही हानिकारक है।”
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